भेड़ें, कालाधन और नोटबंदी

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एक भेड़ों की सभा मे चुनाव होने थे। लंबा चुनाव प्रचार था। बड़े बड़े लुभावने वादे किये थे नेता जी ने। एक चुनावी वादा यह भी था की सभी भेड़ों को सर्दी से बचने के लिए एक—एक कंबल दिया जाएगा, जिसके लिए ऊन विदेशों से मंगवाई जाएगी। सरकार बनाने के पश्चात विदेशों से ऊन मंगवाने मे वह असफल रहा। सर्दियां आने पर भेड़ों के समूह ने कंबल के लिए शोर मचाया। नेताजी बड़े शातिर थे। बहुत सोचने समझने के बाद उसने ऊन की व्यवस्था अपने देश मे से ही करने का निर्णय लिया और अपनी सभी भेड़ों को मूंड़ने का आदेश दे दिया।

इसका कालेधन से कोई संबंध नही है।
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